What is stress : हम सब के जीवन में कभी न कभी ऐसा समय आता है जब कुछ भिंसाही नहीं लगता। ऐसा लगता है कि हमारे मन मुताबिक काम नहीं हो रहा, मेहनत के बावजूद अच्छा फल नहीं मिल रहा, लक्ष्य की तरफ पूरी ताकत झोंक रहे हैं फिर भी प्राप्त कुछ नहीं हो रहा।
आधुनिकता की एक और सौगात है लोगों में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और उससे उपजा तनाव। तनाव यानी कि stress की बात तो हम सभी करते हैं। लेकिन क्या इसके बारे में सही मायनों में सब कुछ जानते हैं? कैसे किसी छोटी सी बात का तनाव इतना बढ़ जाता है कि हम आपा खो बैठते हैं? क्यों कि निराशा का भाव हमेशा घेरे रहता है हमें? क्यों सब कुछ होते हुए भी मानसिक शांति नहीं मिलती? इन सब का जवाब ढूंढने के लिए हमें मानव मन मस्तिष्क के तह में जाना होगा।
यह भी पढ़े : महिलाओ के लिए बेस्ट multivitamins
What is stress in Hindi | क्या है स्ट्रेस
स्ट्रेस या तनाव हमारे मन की ऐसी स्थिति है जिसमें किसी एक या एक से अधिक बात को लेकर हम बहुत ज्यादा सोचने लगते हैं, हर समय, हर जगह। किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मेहनत करते हुए उसको पाने की जिद ऐसी हो जाए कि हमारे अंदर तक एक डर बैठ जाए कि अगर यह नहीं मिला तो जिंदगी खत्म हो जाएगी। हमारे दिल दिमाग पर पड़ने वाला यही जरूरत से ज्यादा ज़ोर स्ट्रेस कहलाता है।
स्ट्रेस के कारण ( What is stress )
इसके कारण अनगिनत हैं। किसी प्रतियोगिता में जीतने की ललक, काम और परिवार की जिम्मेदारियों को निभाने की कोशिश, सबसे बेहतर बनने की ज़िद, और भी बहुत कुछ। सामान्यतः लोग इन सब चीजों का निर्वहन करते हुए एक संतुलित जीवन जीते हैं। किंतु कुछ लोगों पर इन बातों का अत्यधिक असर पड़ने लगता है। वे दबाव में जीने लगते हैं।
स्ट्रेस के परिणाम और ब्रेकिंग प्वाइंट ( What is stress )
एक समय आता है जब यह स्ट्रेस इतना हावी हो जाता है कि लोग मानसिक तौर पर असामान्य होने लगते हैं। जो वो चाहे उसको प्राप्त न कर पाने का तनाव उन्हें हद से ज्यादा निराश करने लगता है। यही ऐसा मोड़ है जहां व्यक्ति या तो खुद को संभाल ले सकता है या बुरी तरह टूटने लगता है। ( What is stress )
नतीजा डिप्रेशन, पागलपन, यहां तक कि आत्महत्या तक भी बात पहुंच जाया करती है। इसी एक बिंदु जिसे ब्रेकिंग प्वाइंट कहते हैं, से आप या तो वापस मुड़ कर सामान्य होने का प्रयास कर सकते हैं या परिस्थिति के आगे हार कर खुद का नुकसान कर बैठते हैं।
जानें लक्षण ( What is stress )
जब छोटी छोटी बातों पर आप त्वरित प्रतिक्रिया देने लगें, अपने या दूसरों के साथ रूखा व्यवहार करने लगें, हमेशा निराशा का भाव घेरे रहे, आगे कोई रास्ता न मिलता हुआ दिखाई दे, तो समझ लेना चाहिए कि आप उस ओर बढ़ रहे हैं। शारीरिक तौर पर बात करें तो वजन तेज़ी से घटने लगना, या बढ़ने लगना, बालों का झड़ना, सर में दर्द, अनिद्रा आदि लक्षण दिखाई पड़ने लगते हैं।
क्या है उपाय ( What is stress )
ब्रेकिंग प्वाइंट को पहचान लेना सफलता की पहली सीढ़ी है। स्वयं को संयत करें, बात बात पर उखड़ जाने से खुद को रोकें, हद से अधिक अपेक्षा चाहे वो स्वयं से हो या दूसरों से, ना रखें। जीत के लिए प्रयास करें, किंतु हार की परिस्थिति के लिए भी अपने आप को तैयार करें।
मेडिटेशन, जॉगिंग, योगाभ्यास करें। संगीत आदि का सहारा ले कर नींद पूरी करने की कोशिश करें। इन सब के अलावा किसी भी परिवार के सदस्य या दोस्त से खुल कर बात करें। अपने अंदर ही सारी बातें रखने और घुटने से और नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जरूरत हो तो किसी मनोविद ( psychiatrist) की सहायता लें। एक बात ध्यान में रखें कि ऐसी स्थिति में आपकी सहायता खुद आपसे अधिक और कोई नहीं कर सकता। स्वयं को मजबूत बनाने का काम आपको स्वयं ही करना होगा।
प्रिय पाठकों, आशा है कि मेरा लेख आपकी सहायता करता है। आपके सुझाव और टिप्पणियां मुझे प्रेरित करेंगी। अतः अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें। धन्यवाद।
अस्वीकरण :- इस site पर उपलब्ध सभी जानकारी और लेख केवल शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए है | यहाँ पर दी गयी जानकारी का उपयोग किसी भी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या या बीमारी के निदान या उपचार हेतु बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए | उपचार के लिए योग्य चिकित्सक का सलाह ले |